haridwar
हरिद्वार सेवाकेंद्र पर रक्षाबंधन के उपलक्ष में संत गोष्ठी का आयोजन
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी विश्व विद्यालय के हरिद्वार सेवा केंद्र पर रक्षाबंधन के उपलक्ष में संत गोष्ठी का आयोजन किया गया
Haridwar- 19 August 2024| रक्षाबंधन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि परमहंस आचार्य ब्रह्मनिष्ट महामंडलेश्वर श्री देवानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा कि की प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के इस सभागार में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी रक्षाबंधन के कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। मेरा सौभाग्य है कि ब्रह्माकुमारीज संस्था द्वारा आयोजित इस रक्षाबंधन के कार्यक्रम में मेरा पिछले कई वर्षों से आगमन हो रहा है। मैं बहनों से राखी बंधवाकर अपने आप को अभिभूत अनुभव करता हूं।इस ईश्वरीय विश्व विद्यालय की एकता, प्रेम, और सेवा भाव से मैं बहुत-बहुत प्रभावित हूं। मुझे यहां आकर अपनेपन का अनुभव होता है। निस्वार्थ स्नेह का अनुभव होता है। ईश्वरीय प्रेम का अनुभव होता है । मुझे ऐसा नहीं लगता कि मैं किसी दूसरे के घर में आया मुझे ऐसा महसूस होता है कि यह मेरा घर है मेरा आश्रम है इसलिए मैं बार-बार आता हूं और बहनों से राखी बंधवाता हूं। मैं बहनों की तथा इस ईश्वरीय विश्व विद्यालय दिन दुगनी रात चौगुनी उन्नति की मंगल कामना करता हूं।
महामंडलेश्वर स्वामी डॉक्टर मुक्तानंद पुरी जी महाराज ने कहा कि आज रक्षाबंधन तो है ही साथ-साथ श्रावणी उपाकर्म का दिवस भी है। हमारी गुरुकुल परंपरा में आज के दिन ही गुरुकुल में प्रवेश होता था।गुरुकुल में प्रवेश लेकर वहां पर शिक्षा -दीक्षा लेना हमारी संस्कृति की रक्षा के लिए अति आवश्यक है । शास्त्रों में वैसे तो बहुत सारी परंपराएं हैं लेकिन यह जो गुरुकुल की परंपरा हमारे देश में थी जिससे हमारा देश विश्व के लिए एक आध्यात्मिक दिशा दिखाने का स्थान था। इस ईश्वरीय विश्व विद्यालय में सेवा भाव जैसा गुरुकुल में होता था ,यहां पर भी मैंने देखा है । यहां पर ज्ञान विज्ञान की बातें भी हैं। इस संस्था में गुरु सेवा भी देखी इसलिए इस ईश्वरीय विश्व विद्यालय में गुरुकुल पद्धति के द्वारा ही शिक्षा दी जाती है मेरा ऐसा मानना है क्योंकि आज रक्षाबंधन है तो मैं भी बहनों से आशीर्वाद लेने के लिए यहां पर आया हूं और बहनें द्वारा रक्षा सूत्र बंधवाकर मुझे गर्व महसूस होता है।
महामंडलेश्वर स्वामी कर्ण पाल गिरी जी महाराज ने कहा कि मुझे इस ईश्वरीय विश्व विद्यालय के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय माउंट आबू जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है । मैंने वहां पर उनकी दिव्यता, एकता और ईश्वरीय प्रेम का अनूठा संगम देखा। आज तो मैं राखी बंधवाने आया हूं इसलिए इस ईश्वरीय विद्यालय को मेरी बहुत-बहुत शुभ मंगल कामनाएं।
महामंडलेश्वर प्रबोधानंद गिरि जी महाराज ने कहा कि आज भारत में भी जितने त्यौहार अथवा पर्व हैं यह सब त्यौहार अथवा पर्व तो मनाए जाते ही हैं, उनकी संख्या भी बढ़ गई है। लेकिन उसके अंदर का जो भाव और भावनाएं हैं वह समाप्त हो चुकी है । आज हम रक्षाबंधन को मानते हैं लेकिन रक्षाबंधन का क्या भाव है और उसकी क्या भावनाएं होनी चाहिए उस भाव और भावनाओं से रक्षाबंधन नहीं मनाया जाता है। आज तो सिर्फ मनाने के लिए ही मनाया जाता है| हमने विदेशी संस्कृति को बहुत कॉपी किया है। वहां सिस्टर डे शुरू हुआ जब वहां कोई ब्रदर नहीं मिला तो फिर उन्होंने सिस्टर डे को बदल मदर्स डे कर दिया तो उनको इस आध्यात्मिक संस्कृति या भारतीय संस्कृति का कोई अनुभव नहीं है। हम उनका अनुसरण करते हैं तो हमारी दुर्गति होना तो निश्चित है। इसलिए भारत में जो त्योहार मनाए जाते हैं उसका भाव समझकर उसकी भावनाओं को समझ कर मनाए । हम कोई सामान खरीदने जाते हैं तो उसका भाव तो हम करते हैं लेकिन अपने भाव का कोई मूल्य हमें नहीं है इसलिए मेरे भाई और बहनों जरा सोचो आज रक्षाबंधन है तो रक्षाबंधन के भाव को समझ कर जब ब्रह्माकुमारी बहने राखी बांधे तो उसी भाव से ईश्वरीय भावना से राखी बनवाना।तो यह रक्षाबंधन मनाना सार्थक हो जाएगा।
महामंडलेश्वर स्वामी अभिषेक चैतन्य जी महाराज ने कहा कि आज श्रावणी उपाकर्म का दिन है हमें तो इससे ऊपर उठकर विचार करना चाहिए हमारी संस्कृति, वैदिक संस्कृति, हमारे त्योहार यह सब हमारी धरोहर है ।परंतु उपाकर्म को अब भूल गए हैं इसलिए इस समय धर्म ग्लानि का समय है ।जिन्होंने हमारी संस्कृति के नियमों को मर्यादाओं का पालन नहीं किया तो उनका पतन निश्चित है, उनका विनाश निश्चित है।आज का मनुष्य अर्थ,काम और राजनीति के पीछे पड़ा हुआ है लेकिन मनुष्य भूल गया है कि हमारी संस्कृति की जड़ें जब तक मजबूत नहीं होगी तब तक हमारा समाज मजबूत नहीं हो सकता है । इसलिए सबसे पहले संस्कृति की जड़ों मजबूत करें,जैसे यह ब्रह्माकुमारी बहनें भारतीय संस्कृति को मजबूत कर रही हैं।
ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी ने दादी जी का पत्र पुष्प सभी को पढ़कर सुनाया और दादी जी की भेजी हुई राखी सभी को दिखाई और सभी सन्त महात्माओं की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधा। सभी को मीठा बोलने का प्रतीक मिठाई खिलाकर मुख मीठा कराया गया ।
इस अवसर पर ब्रह्मा कुमार सुशील भाई, ब्रह्माकुमारी मीना दीदी ने भी अपने विचार व्यक्त किये ।इस कार्यक्रम में हरिद्वार के 30 महामंडलेश्वर, संत -महंत उपस्थित रहे।
Dehradun
आदरणीया प्रेम बहन जी की आठवीं पुण्य स्मृति दिवस पर विशेष कार्यक्रम
प्रेम बहन जी के सद्गुणों को यादकर दी गई पुष्पांजलि
देहरादून-ब्रह्माकुमारीज धर्म प्रभाग की अंतरराष्ट्रीय चेयरपर्सन रही राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी प्रेम बहन का आंठवा स्मृति दिवस ‘मर्यादा दिवस’ के रूप में सुभाष नगर देहरादून में मनाया गया।राजयोगिनी प्रेम बहन जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करने व उनकी याद में मधुर गीत गायन से शुरू हुए समारोह में मुख्य वक्ता ब्रह्माकुमारीज (R.E.R.F) के युवा प्रभाग की चेयरपर्सन राजयोगिनी बीके चन्द्रिका दीदी ने कहा कि जीवन मूल्य केवल मनुष्य योनि में ही प्राप्त किए जा सकते है।उन्हें अपने सारगर्भित उदबोधन में कहा कि प्रेम बहन को उनके परिजनों द्वारा उनके जीवन को बचाने के लिए परमात्मा शिव को सौंप दिया था,उन्ही की बदौलत वे अपना 75 वर्ष तक का जीवन पूर्ण कर पाई।उन्होंने कहा कि हर कोई कर्म की कलम से अपना भाग्य लिखता है।नरक को स्वर्ग बनाने के लिए भगवान को धरा पर आना पड़ता है।युग परिवर्तन के माध्यम से ही हम इस विश्व नाटक में अपनी अपनी भूमिका का निर्वहन कर रहे है।जिसमे हमे हीरो की भूमिका निभानी है।लेकिन यह तभी संभव है जब तन,मन,धन,जन्म व जीवन सकारात्मक व सार्थक हो,व्यर्थ से कभी हम सफल नहीं हो सकते।हमे वर्तमान में जीना सीखना चाहिए, जिसके लिए भगवान को अपने साथ रखना होगा।साथ ही स्वस्थ तन,मन की समर्थ दिनचर्या व विनाशी-अविनाशी धन की गति जानते हुए हम मूल्य आधारित आध्यात्मिक जीवन जियेंगे तो प्रेम बहन जैसा जीवन जिया जा सकता है।
उत्तराखंड सरकार के राज्य मंत्री स्तर श्यामवीर सैनी ने मुख्य अतिथि के रूप में कहा कि शक्ति स्वरूपा ब्रह्माकुमारीज बहनों की प्रेरणा से जीवन बदल जाता है।उन्होंने कहा कि जीवन जीने की कला वास्तव में ब्रह्माकुमारीज बहनो और भाईयो के सम्पर्क में आकर सीखी जा सकती है।उन्होंने मन के संतुलन को जीवन का संतुलन बताया व प्रेरक कथा के माध्यम से सुसंस्कारों पर जोर दिया।उन्होंने ब्रह्माकुमारीज संस्था को देश और समाज की हितरक्षक बताया।उन्होंने अपने जीवन से जुड़े रौचक सार्थक संस्मरण भी सुनाये और दिनचर्या बनाने को सुखद जीवन का आधार बताया।उन्होंने नारी सम्मान की भी पैरवी की।उन्होंने भारत को देवी देवताओं का देश व उत्तराखंड की देवभूमि के रूप में विशेषता गिनाई।
महामंडलेश्वर सतगुरु आदियोगी पुरी जी महाराज ने कहा कि हम सब अपने भाग्य की बदौलत यहां आए है।उन्होंने परमात्मा की इंसान को खूबसूरत कृति बताते हुए दुख सुख के भाव के कारणों को भी अभिव्यक्त किया।स्वामी जी अपने आशीर्वचन में कहा कि लगता है आज नेतृत्व कही खो गया है।जिसे अध्यात्म के रास्ते से ही पुनः प्राप्त किया जा सकता है।उन्होंने कहा कि ब्रह्माकुमारीज हमें सृष्टि के मूल का बोध करा रही है।उन्होंने प्रेम बहन जी के सद्गुणों को भी याद किया।
कार्यक्रम में देहरादून सबजोनल इंचार्ज बीके मंजू दीदी,हरिद्वार सेवा केंद्र प्रभारी बीके मीना दीदी,रुड़की सेवा केंद्र प्रभारी बीके गीता दीदी,बीके तारा दीदी,बीके सोनिया बहन,बीके शीलू दीदी,रुड़की से श्रीगोपाल नारसन, अमरेश त्यागी,बीके आरती दीदी समेत बड़ी संख्या में भाई बहनों ने भाग लिया।कुशल संचालन बीके सुशील भाई द्वारा किया गया।
कार्यक्रम में देहरादून सबजोनल इंचार्ज बीके मंजू दीदी,हरिद्वार सेवा केंद्र प्रभारी बीके मीना दीदी,रुड़की सेवा केंद्र प्रभारी बीके गीता दीदी,बीके तारा दीदी,बीके सोनिया बहन,बीके शीलू दीदी,रुड़की से श्रीगोपाल नारसन, अमरेश त्यागी,बीके आरती दीदी समेत बड़ी संख्या में भाई बहनों ने भाग लिया।कुशल संचालन बीके सुशील भाई द्वारा किया गया।
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